quatrain, four-lines of poetry
उर्दू और फ़ार्सी का एक छंद- विशेष जिसका मूल वज्न १ तगण १ यगण एक सगण और एक मगण होता है (ssi, ISS, ॥s, ss), इसके पहले दूसरे और चौथे पद में काफ़िया होता है, कभी-कभी चारों ही सानुप्रास होते हैं, परंतु अच्छा यही है कि चौथा सानुप्रास न हो।